बुधवार, 6 दिसंबर 2017

भारत की महान संस्कृति

नरेंद्र कुंडू 
                  किसी भी देश के विकास में उसकी संस्कृति का बहुत योगदान होता है। देश की संस्कृति, उसके मूल्य, लक्ष्य, प्रथाएं उसका प्रतिनिधित्व करते हैं। भारतीय संस्कृति कभी कठोर नहीं रही। इसलिए यह आधुनिक काल में भी गर्व के साथ जिंदा है। ‘अनेकता में एकता’ कोई शब्द नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी चीज है जो भारत जैसे सांस्कृतिक और विरासत में समृद्ध देश पर पूरी तरह लागू होती है। कुछ आदर्श वाक्य या बयान, भारत के उस दर्जे को बयां नहीं कर सकते जो उसने विश्व के नक्शे पर अपनी रंगारंग और अनूठी संस्कृति से पाया है। मौर्य, चोल और मुगल काल और ब्रिटिश साम्राज्य के समय तक भारत हमेशा से अपनी परंपरा और आतिथ्य के लिए मशहूर रहा। रिश्तों में गर्माहट और उत्सवों में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आया। इस देश की उदारता और जिंदादिली ने बड़ी संख्या में सैलानियों को इस जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया, जिसमें धर्मों, त्योहारों, खान-पान, कला, शिल्प, नृत्य, संगीत और कई चीजों का मेल है। ‘देवताओं की इस धरती’ में संस्कृति, रिवाज और परंपरा से लेकर बहुत कुछ खास रहा है। ‘भारतीय जीवनशैली प्राकृतिक और असली जीवनशैली की दृष्टि देती है। भारतीय संस्कृति विशाल है व इसमें हर प्रकार के रंग और जीवंतता है। यह देश कई सदियों से सहिष्णुता, सहयोग व अहिंसा का जीवंत उदाहरण रहा है और आज भी है। इसके विभिन्न रंग इसकी विभिन्न विचारधाराओं में मिलते हैं। भारत का इतिहास भाईचारे व सहयोग के उदाहरणों से भरा पड़ा है। इतिहास में अलग-अलग समय में विदेशी हमलावरों के कई वार झेलने के बाद भी इसकी संस्कृति व एकता कभी नहीं हारी और हमेशा कायम रही। समय के साथ चलते रहना भारतीय संस्कृति की सबसे अनूठी बात है। यहां सड़क किनारे शो से लेकर थियेटर में एक अत्यंत प्रबुद्ध नाटक तक सबकुछ कलात्मक है। भारतीय संस्कृति सम्पूर्ण मानव समुदाय के विकास क्रम की सम्यक चेष्टाओं का भंडार है और इसीलिए इसे किसी सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। भारतीय संस्कृति की अपनी विशेषताएं हैं, अपना इतिहास है और अपनी गाथा है। साहित्यकार, कलाकार व कलमकार (पत्रकार) अपनी कला के माधयम से युवा पीढ़ी को भारत की महान संस्कृति के दर्शन करवा कर राष्ट्रहित में अपना योगदान दे सकते हैं।   



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