गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

मजदूरी कर बेटे को करवाई मुम्बई आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई

तीन हजार की आबादी वाले भूराण गांव से आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाला गांव का पहला छात्र बनेगा रामफल का लड़का नवीन

परिवार की कमजोर परिस्थितियों के बावजूद भी रामफल अपने बेटे को आईआईटी मुंबई से करवा रहा है कैमिकल इंजीनियर की पढ़ाई

बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी दिलवा रहा है उच्च शिक्षा 

रामफल अपनी पत्नी सुनीता के साथ।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर जींद-पानीपत मार्ग पर स्थित भूराण गांव वैसे तो अपनी एक अलग पहचान रखता है लेकिन गांव का ही एक 49 वर्षीय रामफल नामक व्यक्ति इस गांव का गौरव है। रामफल समाज के सामने एक अच्छे पिता की मिशाल पेश कर रहा है। रामफल अपनी आर्थिक परिस्थितियों की परवाह किए बिना अपने चारों बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाकर समाज को एक सुशिक्षित नागरिक देने का काम किया है। इतना ही नहीं रामफल ने अपने बेटे व बेटियों में भी किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया। वह अपनी बेटियों को भी बेटों की तरह अच्छी शिक्षा दिलवा रहा है। आज जहां रामफल की दोनों बेटियां जीएनएम व बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही हैं, तो वहीं रामफल का एक लड़का मुंबई आईआईटी से कैमिकल इंजीनियर की पढ़ाई कर रहा है और दूसरा बेटा गांव के ही एक निजी स्कूल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। इस प्रकार प्रतिदिन महज 250 से 300 रुपये की मजदूरी करने वाला रामफल नाम का यह सख्श हर वर्ष अपने बच्चों की पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च करता है। जबकि रामफल की आर्थिक परिस्थितियां इस बात की इजाजत नहीं देती कि वह अपने बच्चों के लिए इस तरह अच्छी शिक्षा की व्यवस्था कर सके। हर वर्ष ढाई से तीन लाख रुपये तो मुंबई आईआईटी से कैमिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने वाले रामफल के बेटे नवीन की पढ़ाई पर खर्च हो रहे हैं। रामफल ने अपने बच्चों को एक कामयाब इंसान बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की है। जिस तरह से रामफल अपनी परिस्थितियों से जूझ कर अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा कर एक अच्छे पिता का अपना फर्ज अदा कर रहा है तो ठीक उसी प्रकार से पढ़ाई में अव्वल दर्जा हासिल कर उसके बच्चे भी अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं। रामफल का बड़ा बेटा नवीन दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपने माता-पिता के सपने को साकार करने का प्रयास कर रहा है। कैमिकल इंजीनियरिंग में नवीन का यह तीसरा वर्ष चल रहा है और एक वर्ष के बाद यह अपनी इंजीनयरिंग की पढ़ाई पूरी कर तीन हजार की आबादी वाले इस गांव मेें मुंबई जैसे आईआईटी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला गांव का पहला छात्र होगा। परिवार की कमजोर परिस्थितियों के बावजूद भी रामफल ने अपने बेटे नवीन को दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद 12वीं की पढ़ाई के लिए राजस्थान के कोटा शहर में भेजा। नवीन ने भी बिना समय गंवाए १२वीं की पढ़ाई के साथ-साथ आईआईटी में दाखिले के लिए कोचिंग भी ली। 12वीं की परीक्षा उतीर्ण करने के बाद नवीन ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की और परीक्षा में अच्छी रैंकिंग हासिल करने के कारण नवीन का दाखिला आईआईटी मुंबई में हुआ। अपने पिता रामफल के साथ-साथ नवीन भी अपने गांव, जिले या प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के युवाओं के लिए एक मिशाल है, जिसने परिवार की कमजोर परिस्थितियों के बावजूद भी इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नवीन अपनी मेहनत के बूते पर अपने नाम के शब्द को बिल्कुल सार्थक सिद्ध कर रहा है। वहीं रामफल की बड़ी लड़की ममता जीएनएम का कोर्स कर रही है और पूजा बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है। रामफल का सबसे छोटा लड़का आशीष जो अभी गांव के ही एक निजी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई कर रहा है। रामफल की पत्नी सुनीता महज पांचवीं पास है और वह भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाकर एक अच्छे समाज के निर्माण करने के अपने पति रामफल के प्रयास में सहयोग कर रही है। 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें