रविवार, 18 जनवरी 2015

भाजपा के मंत्रियों को पसंद आया 'म्हारे किसानों का कीट ज्ञान'

केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री ने कीटाचार्य किसानों से मांगा कीट ज्ञान का प्रस्ताव
दिल्ली में मुरली मनोहर जोशी के आवास पर भाजपा नेताओं के साथ हुई किसानों की मीटिंग

नरेंद्र कुंडू 
जींद। थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए जिले में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम को देशभर में फैलाने के लिए अब भाजपा सरकार इस पर मंथन करेगी। भाजपा के मंत्रियों को म्हारे किसानों का यह कीट ज्ञान पसंद आ गया है। कीट ज्ञान की इस मुहिम को देश में कैसे फैलाया जाए और किसानों को इससे क्या फायदा होगा इस विषय पर केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण ने कीटाचार्य किसानों से एक प्रस्ताव मांगा है। कीटाचार्य किसानों द्वारा जल्द ही एक प्रस्ताव तैयार कर कृषि मंत्री को भेजा जाएगा।
मकर संक्रांति के अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी द्वारा दिल्ली के राय सिन्हा रोड पर स्थित अपने निवास पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में भाजपा के केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण, केंद्रीय राज्य पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही तथा कई अन्य बुद्धिजीवी लोगों को बुलाया गया था। इस कार्यक्रम में जींद जिले के किसानों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। भाजपा नेताओं के आमंत्रण पर कीटाचार्य रणबीर मलिक के नेतृत्व में महिला किसान सविता, मीना मलिक तथा शकुंतला मीटिंग में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। यहां भाजपा नेताओं के साथ लगभग दो घंटे तक हुई मीटिंग में कीटाचार्य किसानों ने डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा जींद जिले में शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम से अवगत करवाया। किसानों ने बताया कि फसल में आने वाले शाकाहारी कीटों को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं है। फसल में मौजूद मांसाहारी कीट खुद ही शाकाहारी कीटों को नियंत्रित कर किसान के लिए कुदरती कीटनाशी का काम करते हैं। किसानों को तो गुमराह कर कीटनाशकों के दलदल में धकेला जा रहा है। यदि किसानों को कीट ज्ञान से अवगत करवा दिया जाए तो किसानों को कीटनाशकों के
केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बाल्याण के साथ बातचीत करते कीटाचार्य किसान। 
दलदल से निकालने के साथ-साथ खेती पर बढ़ते किसानों के खर्च को कम किया जा सकता है। भाजपा के केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री संजीव बाल्याण ने किसानों के कीट ज्ञान के महत्व को स्वीकार करते हुए कीटाचार्य किसानों को इस पूरी मुहिम का एक प्रस्ताव तैयार कर जल्द उन्हें भेजने के लिए कहा। अब किसानों द्वारा जल्द ही एक प्रस्ताव तैयार कर कृषि मंत्री को भेजा जाएगा।

लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा नेताओं ने किसानों के साथ की थी मीटिंग

देश में लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े किसानों के साथ 9 मार्च 2014 को दिल्ली में अपने निवास पर एक मीटिंग की थी। मीटिंग के दौरान किसानों ने मुरली मनोहर जोशी के साथ अपने अनुभव सांझा किए थे। किसानों के कीट ज्ञान से प्रभावित होकर मुरली मनोहर जोशी ने कीटाचार्य किसानों से वायदा किया था कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद इस कीट ज्ञान की मुहिम को देशभर में फैलाया जाएगा। देश के किसानों को कीट से अवगत करवाकर थाली को जहरमुक्त किया जाएगा।




शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

भारत में ऑर्गेनिक उत्पाद की नहीं कोई प्रमाणिकता

अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से लेना पड़ता है प्रमाण पत्र

नरेंद्र कुंडू
जींद। अमेरिका की केलिफोरनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली तथा निकोलस ने कहा कि भारत में ऑर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए बिक्री केंद्रों पर कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि अमेरिका में प्रत्येक बिक्री केंद्र पर ओर्गेनिक उत्पाद की प्रमाणिकता के लिए मशीनों की व्यवस्था होती है। मशीन में ओर्गेनिक उत्पाद की जांच के बाद ही उसे प्रमाणित किया जाता है लेकिन भारत में बिक्री केंद्रों पर यह व्यवस्था नहीं होने के कारण ओर्गेनिक उत्पादों की गुणवत्ता पर संदेह बना रहता है। लोग ओर्गेनिक के नाम पर मिलावटी या रासायनिक उत्पादों को भी बेच देते हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग पर शोध के लिए जींद पहुंचे शोधार्थी शनिवार को जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
शोधर्थी हेली तथा निकोलस ने कहा कि अमेरिका में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार से प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। बिना प्रमाण पत्र के किसान ऑर्गेनिक खेती नहीं कर सकता। इसी के चलते भारत की बजाए अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पाद थोड़े महंगे हैं। अमेरिका में ऑर्गेेनिक उत्पादों की मांग काफी ज्यादा है। वहां बादाम तथा अंगूर की खेती सबसे ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में खेती का ज्यादातर काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है। जबकि भारत में मशीनों से खेती का बहुत कम काम होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के किसानों में जो समानता है, वह यह है कि दोनों ही देशों के किसान फसल के अधिक उत्पादन की तरफ ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि आज ऑर्गेनिक फार्मिंग की काफी जरूरत है। दूषित खान-पान के कारण मनुष्य लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहा है। फसलों में अधिक रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण मनुष्य व जमीन दोनों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत करते शोधार्थी। 
उन्होंने पंजाब का उदहारण देते हुए कहा कि पंजाब में आज यह स्थिति है कि लगभग प्रत्येक घर में कैंसर का एक मरीज है। भविष्य में इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए किसानों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसान आम तौर पर यह सोचते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग से उत्पादन कम होता है। जबकि यह सही नहीं है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से भी उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अपने एक माह के शोध के दौरान वह जिले के अलग-अलग क्षेत्र के फार्मों का दौरा कर यहां के किसानों से ऑर्गेनिक फार्मिंग के गुर सीखेंगे तथा अपने देश में अपनाई जा रही ऑर्गेनिक फार्मिंग की पद्धति के बारे में यहां के किसानों को बताएंगे। ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्या लाभ हैं इसके बारे में भी किसानों को बताया जाएगा।



देश में जहरमुक्त खेती के लिए होगी तीसरी क्रांति

ऑर्गेनिक खेती और स्वास्थ्य विषय पर किया सेमिनार का आयोजन 


नरेंद्र कुंडू 
जींद। दूषित खान-पान के कारण बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए जिले में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को जाट धर्मशाला में भारतीय जागरूक किसान मोर्चा द्वारा ओर्गेनिक खेती और स्वास्थ्य विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता मोर्चा के अध्यक्ष सुनील कंडेला ने की। सेमिनार में मुख्य रूप से अमेरिका की केलिफोरनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थी हैली तथा निकोलस विशेष रूप से मौजूद रहे। कृषि विकास अधिकारी डॉ. कमल सैनी ने किसानों को आर्गेनिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं ओर्गेनिक खेती के अभियान से जुड़े प्रगतिशील किसानों ने भी सेमिनार में अपने विचार सांझा किए।
डॉ. कमल सैनी ने सेमिनार में मौजूद किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में हरित तथा श्वेत क्रांति के बाद तीसरी क्रांति जहरमुक्त खेती के लिए आएगी। उन्होंने कहा कि किसान का सबसे ज्यादा खर्च कीटनाशकों पर होता है और फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण हमारा स्वास्थ्य स्तर लगातार गिर रहा है। कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। डॉ. सैनी ने कहा कि बड़ी-बड़ी पेस्टीसाइड कंपनियों द्वारा किसानों को गुमराह करने के लिए एक बाजार तैयार किया गया है। कीटों को मारने के लिए कीटनाशक, बीमारियों की रोकथाम के लिए फंजीसाइड तथा उत्पादन बढ़ाने के नाम पर रासायनिक उर्वरक तैयार किए जा रहे हैं। जबकि वास्तव में किसानों को इनकी जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने से हमारे साथ-साथ हमारी जमीन की सेहत भी खराब हो चुकी है। आज जमीन का पीएच आठ से ज्यादा पर पहुंच चुका है। जबकि उपजाऊ जमीन का पीएच सात के आस-पास ही रहता है। उन्होंने कहा कि अगर थाली में बढ़ते जहर को रोकना है तो किसानों को जागरूक करना होगा। किसानों को फसल में आने वाले कीटों के महत्व के बारे में बताना होगा। अमेरिका से आए शोधार्थी हैली और निकोलस ने कहा कि किसान ऑर्गेनिक खेती से अच्छी पैदावार ले सकते हैं, जैसा की उनके देश के किसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पेस्टीसाइड के अधिक प्रयोग के कारण हमारे खान-पान के साथ-साथ भू-जल तथा वातावरण भी दूषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत बीमारियां दूषित खान-पान के कारण हो रही हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 20 से 25 साल के युवाओं में जो हड्डियों से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं, वह सब दूषित खान-पान की ही देन है। सुनील कंडेला ने कहा कि उनका उद्देश्य लोगो को जहरमुक्त खान-पान मुहैया करवाना है और इसकी शुरूवात वह अपने जींद जिले से ही करेंगे। आने वाले समय में लोगों को ऑर्गेनिक गेहूं की 306 किस्म उपलब्ध करवाने का प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर सेमिनार में ऊधम सिंह राणा, जागरूक किसान शीशपाल लाठर, अनिल कपूर, कर्मबीर श्योकंद, प्रदीप बडोदी, सुरेंद्र रेढू अधिवक्ता, आनंद ढुल अधिवक्ता, अमरजीत ढुल, राजसिंह  शाहपुर  मौजूद रहे।

सेमिनार में किसानों से बातचीत करते शोधार्थी हैली तथा निकोलस भी मौजूद रहे।