रविवार, 14 दिसंबर 2014

आयुष को अभी ओर करना पड़ेगा संजीवनी का इंतजार

आयुष विभाग की पंचकर्मा की ज्यादातर मशीनें खराब
निदेशक ने कहा बजट की कमी के चलते अभी नहीं खरीदी जा सकेंगी नई मशीनें

नरेंद्र कुंडू 
जींद। सामान्य अस्पताल में स्थित जिला आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म विभाग को अभी 'संजीवनी' के लिए ओर इंतजार करना पड़ेगा। विभाग के पास बजट की कमी के चलते आयुष को अभी नई मशीनों की सौगात नहीं मिल पाएगी। आयुष विभाग के चिकित्सकों को कंडम मशीनों के सहारे ही यहां आने वाले मरीजों का उपचार करना पड़ेगा। वहीं जोड़ों, गठिया बॉय व सरवाइकल इत्यादि के मरीजों को शरीर की मालिश के लिए ऑयल भी खुद बाजार से ही लेकर आना पड़ेगा। बजट की कमी के चलते अभी आयुष विभाग मरीजों को अच्छी सुविधाएं नहीं दे पाएगा।  
आयुर्वेदिक, पंचकर्म एवं योग पद्धति की सहायता से मरीजों के उपचार के लिए कई वर्ष पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला स्तर पर सामान्य अस्पताल में आयुष सैंटर स्थापित किए गए थे। आयुष सैंटरों की स्थापना के बाद ही यहां मरीजों के उपचार के लिए सिरोधारा, स्टीम बॉथ, हैंडव्हील, जोगर मशीन, वैक्सबॉथ, एल्ट्रावायलर लैंप, इंफरा रेड लैंप जैसी आधुनिक मशीनें खरीदी थी लेकिन विभाग द्वारा मशीनें खरीदने के बाद समय पर इन मशीनों की रिपेयरिंग नहीं करवाने या रखरखाव के अभाव में ज्यादातर मशीनें जवाब दे गई। पिछले लगभग दो वर्षों से यह मशीनें खराब पड़ी हुई हैं। मशीनें खराब होने के कारण मरीजों को सही विधि से उपचार नहीं मिल पा रहा है। इससे मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं पिछले दो-तीन माह से आयुष सैंटर में मरीजों की मालिश के लिए ऑयल व मोम भी नहीं है। इसके चलते मरीजों को बाजार से ऑयल खरीद कर लाना पड़ रहा है।

मशीनों के लिए अभी लगभग दो माह ओर करना पड़ेगा इंतजार 

आयुष विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा गत पांच दिसंबर को जिला स्तर के सभी आयुष अधिकारियों को पंचकुला में मीटिंग के लिए बुलाया था। मीटिंग में उच्च अधिकारियों द्वारा सभी सैंटरों के अधिकारियों से उनकी समस्याएं मांगी थी। मीटिंग में सभी सेंटरों की तरफ से उपचार के लिए रखी गई मशीनें खराब होने की समस्या उच्च अधिकारियों के समक्ष रखी गई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मीटिंग में विभाग के उच्च अधिकारियों ने विभाग के पास बजट का अभाव होने की दुहाई देकर अभी नई मशीनें खरीदने से मना कर दिया है। विभाग के उच्च अधिकारियों ने आगामी दो-तीन माह के अंदर-अंदर नई मशीनें खरीदने का आश्वासन सैंटर के अधिकारियों को दिया है। 
 सामान्य अस्पताल में स्थित आयुष विभाग के सैंटर का फोटो।

हर 6 साल में बदलनी होती हैं मशीनें

सामान्य अस्पताल में आयुष सैंटर को खुले हुए कई वर्ष बीत चुके हैं। विभाग द्वारा आयुष के सैंटर में पंचकर्म के लिए खरीदी गई मशीनों को आठ साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है। मशीनों की मियाद खत्म होने के कारण ज्यादातर मशीनें कंडम हो चुकी हैं। जबकि नियम के अनुसार पंचकर्म के लिए रखी गई मशीनों को हर 6 साल बाद बदलना या रिपेयर करवाना होता है। 

यह-यह मशीनें हैं खराब 

जिला आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म केंद्र पर मरीजों के उपचार के लिए सिरोधारा, स्टीम बॉथ, हैंडव्हील, जोगर मशीन, वैक्सबॉथ, एल्ट्रावायलर लैंप, इंफरा रेड लैंप मशीनें रखी गई हैं। इनमें से स्टीम बॉथ, सिरोधारा, जोगर मशीन, एल्ट्रावायलर लैंप खराब स्थिति में हैं। जब से यहां पंचकर्म केंद्र की स्थापना हुई है उसके बाद से इनकी एक बार भी रिपेयरिंग नहीं हो पाई है। पिछले कई वर्षों से यह मशीनें खराब हालत में स्टोर रूम में पड़ी हुई हैं। वहीं सरवाइकल, जोड़ों के दर्द आदि का उपचार तेल की मालिश से किया जाता है लेकिन पिछले कई माह से यहां तेल नहीं है। वहीं घुटनों के दर्द के उपचार में प्रयोग होने वाल मोम भी कई वर्ष पुराना है। आज तक इस मोम को भी नहीं बदला गया है। 

जिला अधिकारी के पास नहीं होता बजट 

पंचकर्म सेंटर पर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो उसके लिए उच्च अधिकारियों को शिकायत भेजनी पड़ती है। इससे समस्या के समाधान में काफी लंबा वक्त लग जाता है। इस बार विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में इस बात को प्रमुखता से रखा गया है कि जिला अधिकारी को भी कुछ बजट उपलब्ध करवाया जाए ताकि पंचकर्म सेंटर पर आने वाली छोटी-मोटी समस्याओं का तुरंत समाधान करवाया जा सके। मीटिंग में विभाग के उच्च अधिकारियों के समक्ष सभी समस्याएं रखी गई हैं। विभाग के उच्च अधिकारियों ने जल्द ही सभी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। 
डॉ. धर्मपाल
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी

विभाग के पास बजट की कमी 

विभाग के पास बजट की कमी चल रही है। पांच दिसंबर को अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई थी। जिन सैंटरों पर ज्यादा परेशानी थी वहां के लिए कुछ बजट तैयार भी किया गया था लेकिन जींद के सैंटर के लिए इस मीटिंग में कुछ बजट तैयार किया गया था या नहीं इसके बारे में रिकार्ड चैक करने के बाद ही कुछ बताया जा सकेगा।
डॉ. संगीता नेहरा, डायरेक्टर
आयुष विभाग


शनिवार, 13 दिसंबर 2014

झुग्गी-झोपडिय़ों में जला रहा अक्षर ज्ञान का दीप

सेवानिवृत्त प्राचार्य गरीब बच्चों को कर रहा शिक्षित
झुग्गी-झोपडिय़ों में ही शुरू की पाठशाला
शिक्षा देने के साथ-साथ खुद ही उठा रहा कापी-किताबों का खर्च

नरेंद्र कुंडू
जींद। आज आधुनिकता तथा भौतिकवाद के इस युग में लोग बिना स्वार्थ के एक कदम भी नहीं रखते हैं लेकिन वहीं एक शख्स ऐसा भी है जो निस्वार्थ भाव से झुग्गी-झोपडिय़ों में अक्षर ज्ञान का दीप जला कर गरीब बच्चों के जीवन को रोशन करने का काम कर रहा है। हम जिक्र कर रहे हैं शहर के अर्बन एस्टेट निवासी सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का। कृष्णचंद शर्मा इन गरीब बच्चों को झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर कखघग सीखा रहे हैं। इतना ही नहीं शर्मा इन बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ इनके किताबों व कापियों का खर्च भी स्वयं ही
 झुग्गी-झोपडिय़ों को पढ़ाते पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा। 
उठा रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे इन गरीब बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है।
शहर के अर्बन एस्टेट निवासी कृष्णचंद शर्मा ने अध्यापक के पद पर रहते हुए वर्षों तक स्कूलों में विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। इसके बाद वह पदौन्नत होकर प्राचार्य के पद तक पहुंचे। प्राचार्य के पद पर पहुंचने के बाद भी इन्होंने नियमित रूप से कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया। 31 मार्च 2014 को सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्ति होने के बाद कृष्णचंद शर्मा ने समाजसेवा करने करने की ठानी। कृष्णचंद शर्मा ने एक नई व अनुठी पहल शुरू करते हुए शहर के सफीदों रोड के पास झुग्गी-झोपडिय़ों में रह रहे गरीब बच्चों को शिक्षित करने की पहल शुरू। हालांकि शुरूआत में इन बच्चों के माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए तैयार करने में काफी मुश्किलें आई लेकिन जब कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो इनके अभिभावक भी इसके लिए तैयार हो गए। शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों में जाकर ही पाठशाला शुरू कर दी और लगभग दो दर्जन बच्चों को पढ़ाई के लिए तैयार किया लेकिन झुग्गी-झोपडिय़ों में शोर-शराबा ज्यादा होने के कारण बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होने लगी। इसके बाद कृष्णचंद शर्मा ने झुग्गी-झोपडिय़ों के पास निर्माणाधीन जिमखाना क्लब में बच्चों की कक्षा लगानी शुरू कर दी। कृष्णचंद शर्मा इन बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ इनकी पढ़ाई के खर्च की व्यवस्था भी स्वयं कर रहे हैं। इनके इस प्रयास से झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को एक नई दिशा मिल रही है। पढ़ाई शुरू होने से बच्चे काफी उत्साहित हैं। यहां इन बच्चों को काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है। शर्मा ने एक माह के समय में ही इन बच्चों को उठने-बैठने तथा बोल-चाल में परिपक्कव कर दिया।
झुग्गी-झोपडिय़ों के बच्चों के साथ मौजूद पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा।

हर रोज तीन घंटे लगती है पाठशाला

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा बच्चों को शिक्षित करने के लिए नियमित रूप से पिछले लगभग एक माह से इन बच्चों की पाठशाला चला रहा है। शर्मा द्वारा हर रोज तीन घंटों तक यह पाठशाला चलाई जाती है। पाठशाला के दौरान बच्चों को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ बोल-चाल तथा रहन-सहन का तरीका भी सिखाया जाता है।

छोटे बच्चों को पढ़ाने का मिल रहा नया अनुभव 

 पूर्व प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा का फोटो।   

सेवानिवृत्त प्राचार्य कृष्णचंद शर्मा ने कहा कि अध्यापन के दौरान उनका अनुभव बड़े बच्चों को पढ़ाने का रहा है। शर्मा का कहना है कि सोनीपत जिले के नूरणखेड़ा गांव के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके मन में समाजसेवा करने की इच्छा थी। जब उन्होंने यहां झुग्गी-झौपडिय़ों में रह रहे बच्चों को देखा तो उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने की सोची। शर्मा ने कहा कि बड़े बच्चों को पढ़ाने के बाद छोटे बच्चों को पढ़ाने का एक नया अनुभव हुआ है।






बुधवार, 3 दिसंबर 2014

'आयुष' को संजीवनी का इंतजार


कंडम मशीनों के सहारे चल रहा मरीजों का उपचार

--मशीनें खराब होने के कारण सही विधि से नहीं हो पा रहा मरीजों का उपचार

--मरीजों को बाजार से खुद खरीदकर लाना पड़ता है तेल

नरेंद्र कुंडू 
जींद। सामान्य अस्पताल में स्थित जिला आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म विभाग 'आयुष'  को संजीवनी का इंतजार हैं। यहां मरीजों के उपचार के लिए रखी ज्यादातर मशीनें कंडम हो चुकी हैं। कंडम मशीनों के सहारे ही मरीजों का उपचार चल रहा है। मशीनें खराब होने के कारण मरीजों का सही ढंग से उपचार नहीं हो पा रहा है। पचंकर्म केंद्र की ज्यादातर मशीनें खराब होने के कारण यहां मौजूद चिकित्सकों को जैसे-तैस कर काम चलाना पड़ रहा है लेकिन सही विधि से मरीजों को उपचार नहीं मिल पाने के कारण मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। पंचकर्म केंद्र के हालात ऐसे हो चुके हैं कि मरीजों की मालिश में प्रयोग होने वाला तेल भी खत्म हो चुका है। इसके चलते यहां गठिया बॉय, सरवाइकल, जोड़ों के दर्द इत्यादि बीमारी का उपचार करवाने के लिए आने वाले मरीजों को बाजार से तेल खरीद कर लाना पड़ता है। हालांकि पंचकर्म केंद्र के चिकित्सकों द्वारा कई बार लिखित में उच्च अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवाया जा चुका है लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पंचकर्म केंद्र की बिल्डिंग का फोटो।

पंचकर्म केंद्र पर इन-इन बीमारियों का होता है उपचार 

सामान्य अस्पताल परिसर में स्थित जिला आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म केंद्र पर सरवाइकल, कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, गठिया बॉय, नजला, जुखाम, सिर दर्द, लकवा, मनोरोग सहित अन्य जटिल बीमारियों का उपचार आयुर्वेदिक पद्धित, पंचकर्म, होमोपेथिक तथा योग से किया जाता है। जिला पंचकर्म केंद्र पर हर रोज 30 से 40 मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं।

यह-यह मशीनें हैं खराब

जिला आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म केंद्र पर मरीजों के उपचार के लिए सिरोधारा, स्टीम बॉथ, हैंडव्हील, जोगर मशीन, वैक्सबॉथ, एल्ट्रावायलर लैंप, इंफरा रेड लैंप मशीनें रखी गई हैं। इनमें से स्टीम बॉथ, सिरोधारा, जोगर मशीन, एल्ट्रावायलर लैंप खराब स्थिति में हैं। जब से यहां पंचकर्म केंद्र की स्थापना हुई है उसके बाद से इनकी एक बार भी रिपेयरिंग नहीं हो पाई है। पिछले कई वर्षों से यह मशीनें खराब हालत में स्टोर रूम में पड़ी हुई हैं। वहीं सरवाइकल, जोड़ों के दर्द आदि का उपचार तेल की मालिश से किया जाता है लेकिन पिछले कई माह से यहां तेल नहीं है। वहीं घुटनों के दर्द के उपचार में प्रयोग होने वाल मोम भी कई वर्ष पुराना है। आज तक इस मोम को भी नहीं बदला गया है।

मशीन खराब होने से सही विधि से नहीं हो पा रहा उपचार

बखताखेड़ा निवासी चंद्र सिंह का फोटो।
कमर दर्द व घुटनों में काफी दर्द था। पिछले आठ-दस दिन से यहां उपचार करवा रहा हूं। यहां उपचार करवाने से काफी राहत मिली है। दर्द की वजह से पहले चलने फिरने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन अब काफी आराम है। जोड़ों के दर्द के उपचार में प्रयोग होने वाली स्टीमबॉथ नामक मशीन खराब पड़ी है। इसके चलते सही विधि से पूरा उपचार नहीं मिल पा रहा है। यदि यह मशीन ठीक होती तो सही विधि से उपचार मिलने से बीमारी में जल्द आराम मिल जाता।
चंद्र सिंह, बखताखेड़ा निवासी

अपनी जेब से खरीद कर लाना पड़ता है तेल

मिर्चपुर निवासी राजेश का फोटो।
पिछले एक माह से पंचकर्म केंद्र पर कमर दर्द का उपचार करवा रहा हूं। उपचार से काफी राहत मिली है। यहां मौजूद चिकित्सकों द्वारा अच्छी तरह से उपचार किया जाता है लेकिन पिछले कई दिनों से मालिश में प्रयोग होने वाला तेल खत्म है। अपनी जेब से बाजार से तेल खरीद कर अपना उपचार करवाना पड़ता है। बाजार में यह तेल काफी महंगे रेट पर मिलता है। यदि विभाग द्वारा यहां तेल भी मुहैया करवा दिया जाए तो मरीजों को बाजार से महंगे रेट पर तेल नहीं खरीदना पड़ेगा।
राजेश मिर्चपुर निवासी

बांए कंधे में पिछले काफी दिनों से हो रहा हैं दर्द 

पटियाला चौक निवासी देवीचंद का फोटो।
दर्द के कारण काफी परेशान था। 10-12 दिन पहले ही यहां से उपचार शुरू करवाया है। उपचार के बाद काफी राहत मिली है लेकिन उपचार में प्रयोग होने वाला तेल खत्म होने के कारण बाजार से अपने पैसों से तेल खरीद कर लाना पड़ रहा है। वहीं घुटनों के दर्द के उपचार में प्रयोग होने वाला मोम भी काफी पुराना है। यदि विभाग द्वारा यहां पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएं तो पंचकर्म विधि मरीजों के लिए रामबाण सिद्ध हो सकती है और मरीजों को बिना पैसा खर्च किए यहां अच्छा उपचार मिल सकता है।

देवीचंद पटियाला चौक निवासी

उच्च अधिकारियों को लिखित में भेजा गया है पत्र

पंचकर्म केंद्र के चिकित्सकों की तरफ से नई मशीनों के लिए जो रिक्वायरमेंट भेजी जाएगी, उसके आधार पर नई मशीनें मंगवाई जाएंगी। पंचकर्म केंद्र पर ऑयल खत्म होने की सूचना मिली थी। ऑयल मंगवाने के लिए उच्च अधिकारियों को लिखित में पत्र भेजा गया है। उपर से जैसे ही ऑयल आ जाएगा पंचकर्म केंद्र पर ऑयल मुहैया करवा दिया जाएगा।
डॉ. धर्मपाल सिंह
पंचकर्म केंद्र में खराब हालत में रखी जोगर मशीन।
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, जींद





 पंचकर्म केंद्र में खराब हालत में रखी स्टीमबॉथ की मशीन।