गुरुवार, 8 अगस्त 2013

'कपास के खेत में कीडों के बीच लगी विद्यार्थियों की क्लाश'

किताबी ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों ने ली कीट ज्ञान की तालीम

अब स्कूल की बजाए सप्ताह के हर बुधवार को खेतों में लगेगी विद्यार्थियों की पाठशाला 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। बुधवार को निडानी गांव के राजकीय हाई स्कूल के 8वीं और 9वीं कक्षा के विद्यार्थियों की क्लाश स्कूल के बजाए कपास के खेत में कीडों के बीच लगी। स्कूल में मिल रहे किताबी ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों ने बुधवार को कपास के खेत में पहुंचकर कीट ज्ञान की तालीम ली। निडानी स्कूल के 8वीं और 9वीं के विद्यार्थी अब सप्ताह के हर बुधवार को इसी तरह खेतों में पहुंचकर कीट ज्ञान का पाठ पढ़ेंगे। स्कूली बच्चों को कीट ज्ञान की इस मुहिम से जोडऩे का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को जहरमुक्त खेती के गुर सिखाकर खेती के प्रति बच्चों में रुचि पैदा करना है, ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेती कार्य में अपने अभिभावकों का हाथ बटा सकें और लोगों की थाली को जहरमुक्त करने की इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सके। पाठशाला का शुभारंभ विद्यार्थियों को राइटिंग पैड तथा पैन देकर किया गया। इस अवसर पर पाठशाला में कृषि विभाग की तरफ से कृषि विकास अधिकारी यशपाल, रमेश, शैलेंद्र तथा डा. कमल सैनी भी मौजूद थे।
 विद्यार्थियों को राइटिंग पैड व पैन देते कृषि विकास अधिकारी।
किसानों को जागरुक कर कीटों और किसानों के बीच लगभग 4 दशकों से चली आ रही अंतहीन जंग को खत्म करवाने तथा खाने की थाली को जहरमुक्त करने के लिए डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है। किसानों के साथ-साथ अब विद्यार्थियों ने भी इस मुहिम में रुचि दिखाई है। निडानी गांव के राजकीय हाई स्कूल के 8वीं और 9वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने बुधवार को स्कूल की बजाए

 कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करते विद्यार्थी। 
निडानी गांव के खेतों में चल रही डा. सुरेंद्र दलाल किसान खेत पाठशाला में पहुंचकर क्लाश लगाई और यहां कीटाचार्य किसानों के साथ कपास की फसल के खेत में खड़े होकर कीट ज्ञान का पाठ पढ़ा। स्कूली विद्यार्थियों ने सुक्ष्मदर्शी लैंसों की सहायता से कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों का अवलोकन किया और उनके जीवन चक्र के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की। कीटाचार्य किसान महाबीर पूनिया, रमेश, जयभगवान, रणबीर, पवन, जयभगवान, जसबीर, पालेराम ने विद्यार्थियों को बताया कि पिछले सप्ताह तक कपास की फसल में मेजर कीटों के नाम से जाने जाने वाले सफेद मक्खी, हरा तेला और चूरड़े की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इन कीटों के साथ-साथ इन्हें खाने वाले मांसाहारी कीट हथजोड़ा, अंगीरा, लेडी बिटल, बुगड़े, भिरड़, ततहीए, मकडिय़ां, लोपा मक्खी सहित कई प्राकृति कीटनाशी भी काफी संख्या में मौजूद थे। फसल में मांसाहारी कीटों की संख्या ज्यादा होने के कारण इस बार कपास के इस खेत में शाकाहारी कीटों का पूरा सुपड़ा साफ हो चुका है। इससे यह बात साफ होती है कि शाकाहारी कीटों को खत्म करने के लिए कीटनाशकों किसी भी प्रकार के कीटनाशक की जरुरत नहीं है।

विद्यार्थियों में खेती के  प्रति रुचि पैदा करना है मुख्य उद्देश्य

आज फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों का इस्तेमाल होने के कारण हमारा पर्यावरण दूषित हो रहा है और इससे मानव के स्वास्थ्य पर भी दूष्प्रभाव पड़ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढऩे वाले ज्यादातर विद्यार्थियों के अभिभावकों का व्यवसाय खेतीबाड़ी है। पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को कीट ज्ञान की मुहिम से जोडऩे का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में खेती के प्रति रुचि पैदा करना है, ताकि विद्यार्थी खेतीबाड़ी के काम में अपने अभिभावकों का हाथ बटा सकें और उनको भी कीट ज्ञान की मुहिम से जोड़कर थाली को जहरमुक्त करने की इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सके। विद्यालय के 8वीं और 9वीं के विद्यार्थियों को अब सप्ताह के हर बुधवार को किसान खेत पाठशाला में भेजा जाएगा, ताकि विद्यार्थी भी कीट ज्ञान की तालीम हासिल करे सकें।
शिवनारायण शर्मा, मुख्याध्यापक 
राजकीय हाई स्कूल, निडानी



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