गुरुवार, 16 अगस्त 2012

‘असी तवाड़े प्यार नू कदे भी नहीं भूल पावांगे’

निडाना के ग्रामीणों के अतिथि सत्कार से गदगद हुए पंजाब के किसान

कीट ज्ञान के साथ-साथ निडाना के ग्रामीणों का प्यार साथ लेकर गए पंजाब के किसान

नरेंद्र कुंडू
जींद।
निडाना दे किसाना नूं साडा जो आदर-सत्कार किता सी, असी ओना दे इस प्यार नू कदे वी नहीं भूल पावांगे। यह शब्द बयां कर रहे थे पंजाब के किसानों के जज्बात को, जो निडाना के ग्रामीणों के अतिथि सत्कार से खुश होकर बार-बार उनकी जुबान पर आ रहे थे। ये किसान आए तो थे निडाना के किसानों से कीट प्रबंधन के गुर सीखने, लेकिन यहां के ग्रामीणों की मेहमान नवाजी से इतने खुश हुए कि उसका जिक्र किए बिना नहीं रह पा रहे थे। पंजाब के किसान यहां के किसानों से कीट प्रबंधन के साथ-साथ अतिथि सत्कार के नए गुर भी सीख कर गए। ग्रामीणों ने पंजाब के किसानों को यह महशूस ही नहीं होने दिया कि ये यहां किसी टूर पर आए हुए हैं। ग्रामीणों ने पंजाब के किसानों को किसी, मंदिर, धर्मशाला में न ठहराकर अपने-अपने घरों में ही इनके रुकने की व्यवस्था की। निडाना के किसानों ने अपनी मेहमान नवाजी से पंजाब के किसानों के दिलो-दिमाक पर प्यार की एक अमीट छाप छोड़ दी।
पंजाब कृषि विभाग द्वारा आत्मा स्कीम के तहत जिला नवां शहर से 6 कृषि अधिकारियों के नेतृत्व में 38 किसानों का एक दल कीट प्रबंधन के गुर सीखने के लिए दो दिवसीय अनावरण यात्रा पर जींद जिले के निडाना गांव में भेजा था। निडाना के ग्रामीणों में भी पंजाब से आने वाले किसानों को लेकर खासा उत्साह था। इसलिए निडाना के ग्रामीणों ने इनके आदर-सत्कार के लिए पूरी तैयारी की हुई थी। निडाना के ग्रामीणों ने पंजाब के किसानों को किसी मंदिर, चौपाल या धर्मशाला में ठहराने की बजाए, इन्हें चार-चार के ग्रुप में बांटकर गांव में ही दस घरों में ठहराने व खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया था। पंजाब के किसान ग्रामीणों द्वारा किए गए इस प्रबंध से गदगद हुए बिना नहीं रह सके। रात को खाना खाने के बाद पंजाब के किसानों ने इनके परिवार के साथ बैठकर बातचीत की व इनसे खेती के नए-नए नुस्खे सीखे। सुबह नाशता करने के बाद ये किसान गांव के खेतों में चल रही किसान खेत पाठशाला में पहुंचे और यहां के कीट मित्र किसानों से कीट प्रबंधन के गुर सीखे। इसके साथ ही इन किसानों ने कीट बही खाता तैयार करना, पौधों की भाषा सीखना व कीटों के क्रियाकलापों के बारे में भी जानकारी जुटाई। इसी दौरान पंजाब के किसानों ने इन कीट मित्र किसानों से खुलकर बहस की व अपनी समस्याओं के समाधान भी करवाए। पंजाब से आए किसानों ने बताया कि पंजाब कृषि क्षेत्र में हरियाणा से आगे है, जिस कारण यहां कीटनाशकों का प्रयोग भी काफी ज्यादा है। जिसके परिणाम स्वरूप ही पंजाब में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के मरीजों की तादात भी काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वे भी इस जहर से छुटकारा पाना चाहते हैं, परंतु उन्हें इससे बचने का कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा था। लेकिन अब निडाना के किसानों ने उन्हें एक नया रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि यहां से उन्होंने जो कुछ सीखा है उसे वे अपने क्षेत्र के किसानों को भी सिखाएंगे, ताकि लोगों की थाली में बढ़ रहे इस जहर को कम किया जा सके। निडाना के किसानों के कीट ज्ञान को देखकर पंजाब के किसान चकित रह गए। इसके बाद पंजाब के किसानों ने निडानी गांव में लंच किया। निडानी के ग्रामीणों ने भी इनके आदर-सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां से ये किसान अलेवा  के लिए रवाना हुए और अलेवा में कीटनाशक रहित धान व कीटनाशकों के प्रयोग वाली धान की तुलना की। इसके बाद शाम को यहां से ये किसान वापिस पंजाब के लिए रवाना हुए।

यहाँ के लोगों से खूब आदर-सत्कार मिला 

पंजाब से आए किसानों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित करते निडाना के किसान।
निडाना के ग्रामीणों ने उनका खूब आदर-सत्कार किया है। उनके इस प्यार को वह व उनके साथ आए किसान कभी भी भूला नहीं पाएंगे। यहां आने से पहले उनके दिमाक में यहां के किसानों के खेती करने व कीट प्रबंधन के बारे में कई प्रकार के सवाल थे, लेकिन यहां आकर सब कुछ साफ हो गया है। यहां के किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम को वे अपने राज्य में भी शुरू करेंगे और खाने में बढ़ रहे इस जहर को कम करेंगे, ताकि आने वाली जरनेशन उनसे यह सवाल न करे कि उन्होंने उनके लिए क्या किया है।
डा. सुखजींद्र पाल
प्रोजैक्ट डायरेक्टर आत्मा स्कीम
कृषि विभाग, पंजाब

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